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बारिश में सब्जियों में आने वाली समस्या और रोकथाम
बारिश में सब्जियों में आने वाली समस्या और रोकथाम
परिचय
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बारिश में अधिकतर खेत में जल जमाव होने, अधिक नमी और पौधों को धूप न मिलने के कारण सब्जियों में कई प्रकार की समस्याएं देखने को मिलती है।
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मौसम में नमी और पौधों में अधिक समय तक पानी जमा रहने के कारण भी कई प्रकार के कीट खेत और पौधों को अपना घर बना लेते हैं, जो सब्जियों की उत्पादकता और गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव डालते हैं।
बारिश में सब्जियों में आने वाली समस्या
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खेत में जल जमाव: जल जमाव खेत में बारिश के दौरान होने वाली सबसे आम समस्या है, जो न केवल पौधों में जड़ गलने का कारण बनती है, बल्कि पौधों की श्वसन क्रिया को भी पूरी तरह से प्रभावित कर फसल को नष्ट कर देती है।
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पत्तियों पर धब्बे: पत्तियों के लंबे समय तक गीले रहने के कारण पत्तियों पर गहरे भूरे और काले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। ये धब्बे धीरे-धीरे बढ़ते हैं और आपस में मिलकर बड़े घाव का निर्माण कर लेते हैं। रोग की गंभीर अवस्था में पत्तियां सूख कर गिरने लगती है और तनों तक घाव फैल जाने के कारण फसल की उत्पादकता में कमी हो जाती है।
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जीवाणु का प्रकोप: जब तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक हो और वातावरण में करीब 80 प्रतिशत की नमी हो तो खेत में कई प्रकार के कीट और फफूंद के पनपने की संभावना बढ़ जाती है। कीट और फफूंद पत्तियों में पीलेपन को बढ़ाते हैं। जिससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है, पौधे अपना भोजन नहीं बना पाते हैं और सूख कर मर जाते हैं। पत्तियों पर ये धब्बे सफेद या काले रंग में भी देखे जा सकते हैं। जिनमें अधिक नमी के कारण पनपने वाले कीटों का भी योगदान होता है। वातावरण में उमस के कारण पौधों में जीवाणु जनित रोगों का भी प्रभाव होता है जो पौधों के साथ फल की गुणवत्ता पर भी असर डालता है। इसके अलावा फसल में कई प्रकार के लार्वा कीट और पोषक तत्वों की भी कमी देखने को मिलती है।
रोकथाम के उपाय
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खेत में जगह- जगह पर नालियां बना लें जिससे वर्षा का अतिरिक्त जल खेत में जमा न हो पाए।
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मृदा जनित फफूंद से सुरक्षा के लिए पौधों की जड़ों के आसपास ट्राइकोडर्मा विरिडी का प्रयोग करें।
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अत्यधिक संक्रमण होने पर कार्बेन्डाजिम के साथ वैलिडामाइसीन मिला कर पौधों पर छिड़काव करें
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