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बाजरा
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
3 year
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बाजरे की फसल में अरगट रोग के लक्षण एवं बचाव

बाजरे की फसल में अरगट रोग के लक्षण एवं बचाव

बाजरा खरीफ मौसम में खेती की जाने वाली फसलों में से एक है। चारे वाली फसलों में इसकी प्रमुखता से खेती की जाती है। इसकी खेती से किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। बाजरे की फसल में कई तरह के रोग का प्रकोप बना रहता है। जिनमें से एक है अरगट रोग। इस रोग को चोपा के नाम से भी जाना जाता है। यदि आपके बाजरे की फसल में भी दिख रहे हैं इस रोग के लक्षण तो इस पोस्ट में दिए गए उपायों को अपना कर इससे आसानी से छुटकारा पाएं।

अरगट रोग के लक्षण

  • इस रोग से ग्रस्त पौधों से गुलाबी रंग का चिपचिपा गाढ़ा रस निकलने लगता है।

  • कुछ समय बाद इस चिपचिपे पदार्थ का रंग गहरा भूरा में बदल जाता है।

  • रोग बढ़ने पर बाजरे की बालियों में दानों की जगह गहरे भूरे रंग के पिंड बन जाते हैं।

  • यह चिपचिपा पदार्थ एवं पिंड जहरीले होते हैं।

  • इस रोग के कारण दानों की पैदावार में भारी कमी आती है।

बचाव के उपाय

  • इस रोग से बचने के लिए रोग रहित एवं प्रमाणित बीज का ही चयन करें।

  • बुवाई से पहले बीज को 20 प्रतिशत नमक मिले पानी में भिगोकर स्वस्थ बीजों का चयन करें।

  • बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को थिरम 75 प्रतिशत डबल्यूएस 2.5 ग्राम या फिर 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डबल्यूपी से उपचारित करें।

  • जिस क्षेत्र में इस रोग का प्रकोप होता है वहां बाजरे की खेती करने से बचें।

  • रोग से प्रभावित बालियों को पौधों से अलग करके नष्ट कर दें।

  • खेत की तैयारी के समय गहरी जुताई करें।

  • रोग से बचने के लिए उपयुक्त फसल चक्र अपनाएं।

  • खेत में खेत के आसपास खरपतवारों को नियंत्रित रखें।

  • फसल की बुवाई समय पर करें इससे अरगट रोग होने की संभावना कम हो जाती है।

  • फसल की कटाई के बाद खेत में गहरी जुताई करें। इससे मिट्टी में मौजूद रोग के जीवाणु नष्ट हो जाएंगे।

  • रोग के लक्षण दिखने पर प्रति एकड़ जमीन में 250 लीटर पानी में 0.2 प्रतिशत मैंकोज़ेब मिलाकर छिड़काव करें।

यदि आपको यह जानकारी उपयुक्त लगी है तो हमारे इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के द्वारा पूछ सकते हैं।

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