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बाजरा
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
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बाजरा की खेती में उचित खाद प्रबंधन

बाजरा की खेती में उचित खाद प्रबंधन

बाजरा की खेती

  • बाजरा एक मोटे अनाज वाली फसल है, और शुष्क व कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है।

  • कई क्षेत्रों में बाजरा की खेती पशुओं के लिए हरे और दानेदार चारे के रूप में भी की जाती है।

  • बाजरा को कई प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन अधिक जल ग्रहण करने वाली मिट्टी इसकी खेती के लिए उचित नहीं मानी जाती है।

  • ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन एवं मिनरल का एक उत्कृष्ट स्रोत होने के कारण यह एक स्वास्थ्यवर्धक आहार माना जाता है।

  • भारत में  राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर-प्रदेश एवं हरियाणा बाजरा के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

खाद प्रबंधन

  • खेत की तैयारी करते समय 2 से 3 टन प्रति एकड़ पूरी तरह से विघटित गोबर की खाद को खेत में अच्छी तरह से मिला लें।

  • इसके बाद वर्षा आधारित फसल में 16 किलोग्राम नाइट्रोजन और 16 किलोग्राम फास्फोरस की मात्रा प्रति एकड़ की दर से खेत की तैयारी के समय डालें।

  • बुवाई से पहले खेत को लगभग 15 से 20 दिन तक खाली छोड़ दें।

  • फसल की बुवाई के समय एक एकड़ में 20 किलोग्राम यूरिया, 100 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 34 किलोग्राम डी.ए.पी मिलाएं।

  • बुवाई के लगभग एक महीने बाद फसल में निराई-गुड़ाई करें और उचित नमी होने पर फसल में 20 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव प्रति एकड़ की दर से करें।

  • सिंचाई की सुविधा वाले क्षेत्रों के लिए एक एकड़ में 24 किलोग्राम नाइट्रोजन और 16 किलोग्राम फास्फोरस की मात्रा का प्रयोग बुवाई के एक महीने के अंतराल पर करें।

  • उर्वरकों का प्रयोग करने से पहले मिट्टी की जांच अवश्य कराएं।

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बाजरा की खेती से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए आप अपने सवाल हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं।

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