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बागवानी फसलों का उत्पादन एवं प्रबंधन

बागवानी फसलों का उत्पादन एवं प्रबंधन

आम, लीची, अमरूद, अंगूर, नींबू, आंवला, आदि फलों के साथ रजनीगंधा, गुलाब, गेंदा, ग्लेडियोलस, आदि विभिन्न फूलों वाले पौधे भी बागवानी फसलों में शामिल हैं। अगर आप भी हैं एक किसान और करते हैं बागवानी तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। यहां से आप बागवानी फसलों का उत्पादन एवं प्रबंधन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। आइए बागवानी फसलों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

  • लीची : मई-जून महीने में लीची के फलों का पकना शुरू हो जाता है। इस समय फलों के फटने की समस्या बढ़ने लगती है। फलों को फटने से बचाने के लिए लीची के बाग में सिंचाई का उचित प्रबंध करें। फलों के छिलके गहरे लाल या गुलाबी रंग के हो जाएं तब फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। फलों की तुलाई सुबह या शाम के समय करें।

  • अंगूर : तापमान बढ़ने के साथ अंगूर के बाग में 5-6 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। फलों के पकने के समय सिंचाई का कार्य बंद कर दें। फलों के पकने के समय सिंचाई करने से फलों के फटने की समस्या शुरू हो जाती है।

  • अमरूद : अमरूद के वृक्षों में फूल आने के समय 10 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव करें। मई महीने में वृक्षों की कटाई भी करें। इससे वृक्षों में नई शाखाएं निकलेंगे और ठंड के मौसम में फलों की संख्या में वृद्धि होगी। इसके साथ ही वृक्षों में जिंक की कमी की पूर्ति के लिए 40 लीटर पानी में 400 ग्राम जिंक सल्फेट एवं 200 ग्राम बुझा हुआ चूना मिलाकर छिड़काव करें।

  • केला : पौधों में 1 सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई करें। पौधों में लगे फलों को तेज धूप से बचाने के लिए फलों को पत्तियों से ढकें। नए पौधों को लगाने के लिए खेत में 50 सेंटीमीटर गहरे एवं 50 सेंटीमीटर चौड़े गड्ढे तैयार करें। सभी गड्ढों के बीच 1.5 मीटर की दूरी रखें। गड्ढों को कुछ दिनों तक खुला रहने दें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार एवं हानिकारक कीट नष्ट हो जाएंगे।

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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र इस जानकारी का लाभ उठाते हुए बागवानी फसलों का बेहतर उत्पादन एवं प्रबंधन कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। कृषि संबंधी अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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