बांस को विश्व के सबसे लम्बे घास का दर्जा प्राप्त है। बांस में कीट एवं रोगों के प्रकोप का खतरा कम होता है। इसलिए अधिक मुनाफा देने वाली फसलों में बांस भी शामिल है। इसकी खेती किसानों के लिए बहुत लाभदायक साबित होती है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र के व्यक्तियों के लिए बांस की खेती से रोजगार के नए अवसर प्राप्त होते हैं। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम बांस की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
बांस की नर्सरी तैयार करने की विधि
बांस की नर्सरी तैयार करने के लिए सबसे पहले 12*15 मीटर की क्यारी तैयार करें।
इसके बाद इसमें 30 सेंटीमीटर गहरी खुदाई करें।
अब अपनी सुविधा के अनुसार छोटी-छोटी क्यारियां तैयार करें।
इसके बाद सभी क्यारियों में गोबर की खाद मिलाएं।
अब सभी क्यारियों में बीज की बुवाई करें।
बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें।
बुवाई के करीब 10 दिनों बाद बीज अंकुरित हो जाते हैं।
बीज अंकुरित होने के करीब 15 से 20 दिनों बाद प्रकंद तैयार हो जाता है।
मुख्य खेत में प्रकंदों की रोपाई की विधि
प्रकंदों की रोपाई कतारों में करें। सभी कतारों के बीच 5 मीटर की दूरी होनी चाहिए।
इसके बाद खेत में गड्ढे तैयार करें। सभी गड्ढों के बीच 5 मीटर की गूरी रखें।
गड्ढों की 30 सेंटीमीटर लम्बाई, 30 सेंटीमीटर चौड़ाई एवं 30 सेंटीमीटर गहराई पर तैयार करें।
इसके बाद नर्सरी में तैयार किए गए इन प्रकंदों की मुख्य खेत में रोपाई करें।
इस बात का विशेष ध्यान रखें की प्रकंदों में कल्ले निकलने के बाद ही मुख्य खेत में इसकी रोपाई करें।
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