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औषधीय फसलों एवं वाणिज्यिक फसलों की खेती
औषधीय फसलों एवं वाणिज्यिक फसलों की खेती
औषधीय एवं वाणिज्यिक फसलों की खेती किसानों के लिए बहुत लाभदायक है। इन फसलों की खेती से किसानों को दलहन, तिलहन एवं अन्य खाद्यान फसलों से अधिक मुनाफा देती हैं। कई औषधीय एवं वाणिज्यिक फसलों की एक बार बुवाई कर के कई वर्षों तक पैदावार प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन आज भी हमें औषधीय फसलों एवं वाणिज्यिक फसलों के बीच का अंतर नहीं पता है। तो आइए इस पोस्ट के माध्यम से इन फसलों की जानकारी प्राप्त करें।
क्या है औषधीय फसलें?
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औषधीय पौधों को सबसे अधिक उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में किया जाता है।
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हिमालया, पतंजलि जैसी कम्पनियां बड़े पैमाने पर औषधीय फसलों की खेती करा रही हैं। आयुर्वेदिक फसलों में तुलसी, घृतकुमारी (एलोवेरा), अजवाइन, इसबगोल, लौंग, इलायची, हल्दी, शतावरी, गिलोय, अश्वगंधा, ब्राह्मी, भृंगराज, सफेद मूसली, आदि शामिल हैं।
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इन पौधों में कई ऐसे गुण होते हैं जिससे अनेकों गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है। कई शोधों के अनुसार इनके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
क्या है वाणिज्यिक फसलें?
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वाणिज्यिक फसलों को नकदी फसल भी कहा जाता है।
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नकदी फसल में गन्ना, तम्बाकू, कपास, जूट, कोको, पान, मशरूम, गुलाब, सागौन, आदि शामिल हैं।
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इन फसलों की खेती से किसानों को सीधा मुनाफा होता है। इन फसलों की खेती में लागत भी कम होती है।
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तुलसी की खेती के लिए आवश्यक जानकारियां यहां से प्राप्त करें।
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