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औषधीय गुणों से भरपूर है हल्दी, जानें कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां
औषधीय गुणों से भरपूर है हल्दी, जानें कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां
हल्दी अपने औषधीय गुणों और लगभग सभी भारतीय व्यंजनों में प्रयोग होने के कारण हमेशा ही मांग में बनी रहती है। यह एक उष्णकटिबंधीय जलवायु में खेती की जाने वाली फसल है। इसकी खेती कंद के रूप में की जाती है। हल्दी की खेती समतल खेत या मेड़ो में का जा सकती है। इसके अलावा मैदानी क्षेत्र में मिर्च एवं अन्य फसलों के साथ मिश्रित फसल के रूप में लगा कर अतिरिक्त आय प्राप्त की जाती है। अगर आप भी हल्दी की खेती कर अधिक आय कमाना चाहते हैं, तो हल्दी की बुवाई के लिए सही समय,उपयोगी मिट्टी और बीज उपचार संबंधी जानकारी यहां से देखें।
हल्दी में पाए जाने वाले औषधीय गुण
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हल्दी को एंटीसेप्टिक के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह घाव में होने वाले संक्रमण के फैलने से रोकता है।
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इसका कार्डियो प्रोटेक्टिव गुण हृदय को सुरक्षित रखता है।
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इसमें कैंसर से बचाव के गुण पाए जाते हैं।
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यह किडनी और लीवर को भी कई खतरों से बचाने के लिए जाना जाता है।
हल्दी की बुवाई का समय
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हल्दी के रोपण का उचित समय अप्रैल से मई तक का होता है।
सही मिट्टी का चयन
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हल्दी का उत्पादन सभी प्रकार की मिट्टी में किया जा सकता है।
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मिट्टी जल निकास युक्त होनी चाहिए।
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मिट्टी का पी.एच. मान 5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए।
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हल्दी की खेती करने के लिए दोमट, जलोढ़, लैटेराइट मिट्टी एवं अधिक जीवांश युक्त मिट्टी उत्तम मानी जाती है।
बीज की मात्रा और बीज उपचार
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हल्दी रोपण में 8 से 10 क्विंटल कन्द प्रति एकड़ लगता है।
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प्रत्येक कन्द में कम से कम 2 से 3 आंख होनी चाहिए।
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थीरम या मैंकोजेब की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी के साथ घोलकर बीज को 30 से 50 मिनट तक डुबोएं।
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