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औषधीय पौधे
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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औषधीय बेल कलिहारी की बढ़ी मांग, इस तरह करें खेती

औषधीय बेल कलिहारी की बढ़ी मांग, इस तरह करें खेती

कलिहारी बेल वाली औषधीय पौधों में शामिल है। इसका उपयोग मुख्यतः दवाइयों के निर्माण में किया जाता है। हमारे देश में तमिलनाडु और कर्नाटक में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इससे जोड़ों के दर्द एवं कई तरह के टॉनिक, आदि बनाए जाते हैं। इसके पौधों की लम्बाई 3.5 से 6 मीटर तक होती है। पत्तियों की लम्बाई 8 इंच तक होती है। पौधों में लगने वाले फलों की लम्बाई करीब 2 इंच होती है। जड़ी-बूटी एवं औषधीय पौधों में कलिहारी की मांग अधिक होती है। इसलिए इसकी खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है। आइए कलिहारी की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

कलिहारी की खेती के लिए उपयुक्त समय

  • इसकी खेती के लिए मध्य जून से अगस्त तक का समय सर्वोत्तम है।

बीज की मात्रा

  • कलिहारी की खेती पिछली फसल की गांठों की रोपाई के द्वारा की जाती है।

  • इसके अलावा बीज की रोपाई के द्वारा पनिरी तैयार कर के भी इसकी खेती की जाती है।

  • प्रति एकड़ भूमि में खेती करने के लिए 10 से 12 क्विंटल गांठों की आवश्यकता होती है।

उपयुक्त मिट्टी

  • इसकी खेती के लिए दोमट रेतली मिट्टी सबसे उपयुक्त है।

  • लाल दोमट मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती है।

  • मिट्टी का पी.एच. स्तर 5.5 से 7 होना चाहिए।

  • कठोर मिट्टी में इसकी खेती करने से बचें।

खेत तैयार करने की विधि एवं गांठों की रोपाई

  • खेत तैयार करते समय सबसे पहले 1 बार गहरी जुताई करें।

  • इसके बाद 2 से 3 बार रोटावेटर से हल्की जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी बना लें।

  • जुताई के बाद खेत में पाटा अवश्य लगाएं। इससे मिट्टी समतल हो जाएगी।

  • गांठों की रोपाई पंक्तियों में करें।

  • सभी पक्तियों के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरी रखें।

  • पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए।

  • गांठों की रोपाई  6 से 8 सेंटीमीटर की गहराई में करें।

सिंचाई

  • कलिहारी के पौधों की अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

  • सामान्यतौर पर सप्ताह में एक बार सिंचाई करनी चाहिए।

  • फलों के पकने के समय 3 से 4 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।

फसल की कटाई

  • बुवाई के करीब 6 महीने बाद पहली कटाई की जा सकती है।

  • फलों का रंग गहरा हरा होने पर फलों की तुड़ाई की जाती है।

  • बीज प्राप्त करने के लिए फलों के अच्छी तरह पकने के बाद तुड़ाई करें।

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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो हमारे पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान इस जानकारी का लाभ उठाते हुए कलिहारी की खेती के द्वारा अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। कृषि संबंधी अन्य रोचक जानकारियों के लिए जड़े रहें देहात से।

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