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अरहर : रस चूसक कीट से बचाव के उपाय
अरहर : रस चूसक कीट से बचाव के उपाय
अरहर की फसल में कई तरह के रस चूसक कीट का प्रकोप होता है। इस तरह के कीट फसलों को 30 से 50 प्रतिशत तक क्षति पहुंचाते हैं। जिससे उत्पादन में भारी कमी होती है और किसानों को उचित मुनाफा नहीं मिल पाता है। ऐसे में इन कीटों से अरहर की फसल को बचाना बेहद आवश्यक है। यहां से कुछ रस चूसक कीटों की पहचान, उससे होने वाले नुकसान एवं बचाव के उपाय देख सकते हैं।
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माहू : यह कीट गहरे कत्थई या काले रंग के होते हैं। यह फूलों और फलों का रस चूस कर पौधों को क्षति पहुंचाते हैं। इससे बचने के लिए प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड मिलाकर छिड़काव करें।
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अरहर फली बाग : यह कीट हरे एवं भूरे रंग के हो होते हैं। इसकी लंबाई करीब 2 सेंटीमीटर होती है। इस तरह के कीट तने, पत्तियां, फूल एवं फलियों का रस चूसते हैं। प्रकोप बढ़ने पर फलियां सिकुड़ जाती हैं और दाने छोटे रह जाते हैं। इससे बचने के लिए डायमेथोएट 30 ईसी या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल का छिड़काव करें।
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फली का मत्कुण : मादा कीट फलियों पर समूह में अंडे देती हैं। इस कीट का लारवा एवं व्यस्क दोनों फलियों एवं दानों का रस चूसते हैं। जिससे फलियां आड़ी-तिरछी हो जाती हैं एवं दाने सिकुड़ जाते हैं। इसके प्रकोप को कम करने के लिए यदि संभव हो तो अंडों को नष्ट कर दें। इससे निजात पाने के लिए 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात हॉक मिलाकर छिड़काव करें।
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हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाओं का प्रयोग करके आप अरहर की फसल को विभिन्न रस चूसक कीटों से बचा सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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