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बाजरा
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
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अरगट रोग से बाजरा की फसल न हो जाए बर्बाद, जानें नियंत्रण के तरीके

अरगट रोग से बाजरा की फसल न हो जाए बर्बाद, जानें नियंत्रण के तरीके

अरगट रोग बाजरा की फसल में होने वाले कुछ प्रमुख रोगों में शामिल है। इस रोग के जीवाणु मिट्टी में लम्बे समय जीवित रहते हैं। इस रोग के कारण बाजरा की पैदावार में भारी कमी आती है। अगर आप भी कर रहे हैं बाजरा की खेती तो अरगट रोग के लक्षण एवं नियंत्रण की जानकारी होना आवश्यक है। आइए बाजरे की फसल को क्षति पहुंचाने वाले अरगट रोग पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

अरगट रोग के लक्षण

  • इस रोग से प्रभावित पौधों से गुलाबी रंग का चिपचिपा गाढ़ा रस निकलने लगता है।

  • कुछ समय बाद यह चिपचिपा पदार्थ गहरे भूरे रंग में बदल जाता है।

  • रोग बढ़ने पर बाजरे की बालियों में दानों की जगह गहरे भूरे रंग के चिपचिपे एवं जहरीले पिंड बन जाते हैं।

  • इस रोग के कारण दानों की पैदावार में भारी कमी आती है।

अरगट रोग पर नियंत्रण के तरीके

  • खेत की तैयारी के समय गहरी जुताई करें।

  • रोग से बचने के लिए उपयुक्त फसल चक्र अपनाएं।

  • खरपतवारों पर नियंत्रण करें।

  • इस रोग से बचने के लिए बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम 75 प्रतिशत डबल्यूएस से उपचारित करें।

  • रोग से प्रभावित बालियों को पौधों से अलग करके नष्ट कर दें।

  • फसल की कटाई के बाद खेत में गहरी जुताई करें। इससे मिट्टी में मौजूद रोग के जीवाणु नष्ट हो जाएंगे।

  • खड़ी फसल में रोग के लक्षण नजर आने पर प्रति एकड़ जमीन में 250 लीटर पानी में 0.2 प्रतिशत मैंकोज़ेब मिलाकर छिड़काव करें।

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बाजरा में अरगट रोग की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से देहात के कृषि विशेषज्ञों से जुड़कर उचित सलाह लें और समय पर फसल का बचाव करें। साथ ही अपने नज़दीकी देहात केंद्र से उच्च गुणवत्ता के उर्वरक एवं कीटनाशक खरीद जैसी सुविधा का लाभ उठाएं।


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