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अप्रैल महीने में कैसे करें लीची के पौधों की देखभाल?
अप्रैल महीने में कैसे करें लीची के पौधों की देखभाल?
अप्रैल महीने में लीची के वृक्षों में छोटे-छोटे फल लगने शुरू हो जाते हैं। कई क्षेत्रों में फल लगने के साथ फलों के फटने एवं झड़ने की समस्या भी शुरू हो जाती है। वहीं कुछ क्षेत्रों में फल बेधक कीटों का भी प्रकोप होने लगता है। ऐसे में इस महीने लीची की बाग में कुछ विशेष दवाओं का छिड़काव करना आवश्यक है। इस समय पोषक तत्वों की कमी होने से भी फलों का आकार छोटा रह जाता है या फलों की गुणवत्ता में कमी आ जाती है। गुणवत्ता पूर्ण लीची के फल प्राप्त करने के लिए अप्रैल महीने में लीची की देखभाल के लिए किए जाने वाले कार्यों की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
अप्रैल महीने में लीची की बाग में किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण कार्य
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लीची के फलों को फटने से बचाने के लिए मंजर में फल आने के 15 से 20 दिनों बाद देहात बोरोसोल का प्रयोग करें। यह छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर 2 बार करें।
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आप चाहें तो बोरॉन की कमी दूर करने के लिए प्रति लीटर पानी में 1.5 ग्राम बोरॉन या प्रति लीटर पानी में 4 ग्राम बोरेक्स मिला कर छिड़काव कर सकते हैं।
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लीची के फल मटर के दाने के आकार के होने पर प्रति पौधा 500 से 600 ग्राम यूरिया एवं 400 ग्राम पोटाश का प्रयोग करें। इसके बाद हल्की सिंचाई करें।
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फलों के झड़ने की समस्या से बचने के लिए फलों का आकार बड़ी इलायची के बराबर होने पर 15 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर प्लानोफिक्स मिला कर छिड़काव करें।
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फलों को फटने से बचाने के लिए 20 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) ग्रोथ रेगुलेटर (NAA) का प्रयोग करें।
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फलों पर लालिमा आने से पहले प्रति लीटर पानी में 5 मिलीलीटर नीम का तेल मिला कर छिड़काव करें। इससे विभिन्न कीटों से बचाव एवं नियंत्रण होता है।
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नीम के तेल के अलावा 15 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर देहात कटर या प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर कराटे या अलांटो मिला कर भी छिड़काव कर सकते हैं।
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फलों के गुच्छों को नॉन ओवेन पॉलीप्रोपलीन थैलियों से ढकें।
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