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अनार के पौधों में कैंकर की रोग पर रोकथाम
अनार के पौधों में कैंकर की रोग पर रोकथाम
अनार के पौधों में लगने वाला कैंकर रोग एक फंगस जनित रोग है, जो अनार के साथ-साथ अमरूद, संतरे, नाशपाती और नींबू वर्गीय फलों में भी देखने को मिलता है। रोग का संक्रमण फलों के बाहरी गूदे पर घाव के रूप में देखने को मिलता है। जो समय के साथ बढ़ कर फलों की पैदावार और गुणवत्ता को प्रभावित करता है। अनार में कैंकर रोग से बचने के लिए रोग की प्रारंभिक अवस्था में ही रोकथाम के तरीके अपनाए जाने चाहिए। कैंकर रोग की रोकथाम में जुड़ी विस्तृत जानकारी आप नीचे देख सकते हैं।
कैंकर रोग के लक्षण
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पत्तियों, टहनियों और फलों पर छोटे-छोटे उभरे हुए धब्बे दिखाई देते हैं, जो बाद में एक विस्तृत आकार में बदल जाते हैं।
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फलों के बाहरी गूदे पर बड़े घाव उभरते हैं जो फलों के सड़ने का कारण बनते हैं।
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फल सख्त हो जाते हैं।
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अत्यधिक संक्रमण होने पर फल फट जाता है।
कैंकर रोग की रोकथाम
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रोग के प्रति सहनशील किस्म का चयन करें।
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रोग मुक्त पौधों का चयन करें।
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कैंकर से प्रभावित सूखी टहनियों को काटकर जला देना चाहिए।
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फलों पर घाव लगने से बचाएं।
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फसल में फल मक्खी कीट के प्रकोप से बचें। यह कीट रोग को पूरी फसल में फैलाने का काम करता है।
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फसल में 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।
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2 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन का प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
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संक्रमण अधिक होने पर 10 से 15 दिन के भीतर दोबारा छिड़काव करें।
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600 ग्राम मैंकोजेब या 100 ग्राम कार्बेंडाजिम को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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कवकनाशी का छिड़काव बारिश के बाद करें।
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