पोस्ट विवरण
अलसी : तिलहन फसलों में से एक महत्वपूर्ण फसल
अलसी : तिलहन फसलों में से एक महत्वपूर्ण फसल
तिलहन फसलों में अलसी दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है। इसकी गिनती रेशेदार फसलों में की जाती है। इसके रेशे का प्रयोग मोटे कपड़े, रस्सी, आदि बनाने में किया जाता है। अलसी के बीज से निकलने वाले तेल का प्रयोग वार्निश, पेंट, साबुन, रंग, आदि तैयार करने में किया जाता है। पूरे विश्व में अलसी का सबसे बड़ा उत्पादक चीन है। रूस पोलैंड, नीदरलैंड, फ्रांस, बेल्जियम, में इसकी खेती मुख्यतः रेशे प्राप्त करने के लिए की जाती है। वहीं भारत, अमेरिका और अर्जेंटीना में इसकी खेती बीज प्राप्त करने के लिए की जाती है।
भारत में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में इसकी खेती की जाती है।
2 से 2.5 फीट ऊंचे अलसी के पौधों में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार अलसी को बलकारक, पित्त नाशक, पचने में भारी, पौष्टिक, गर्म, पीठ के दर्द और सूजन को खत्म करने वाला माना गया है। इसके साथ ही इससे हृदय रोग, कोलेस्ट्रोल, गठिया, त्वचा का जलना, आदि रोगों में भी लाभ मिलता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, रेशा, वसा, प्रोटीन, विटामिन बी, विटामिन सी, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, आदि कई पोषक तत्व पाए जाते हैं।
अलसी के पौधे एवं बीज दोनों का प्रयोग किया जाता है। इसलिए किसानों के लिए इसकी खेती मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है।
यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो हमारे पोस्ट को लाइक करें। साथ ही इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। यदि आपके मन में इससे जुड़े सवाल हैं तो आप अपने सवाल कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं।
जारी रखने के लिए कृपया लॉगिन करें
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ