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अजवाइन : खेती से पहले जानें कुछ महत्वपूर्ण बातें
अजवाइन : खेती से पहले जानें कुछ महत्वपूर्ण बातें
हमारे देश में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश एवं राजस्थान में बड़े पैमाने पर अजवाइन की खेती की जाती है। यह एक सुगंधित एवं औषधीय फसल है। मसलों में अजवाइन का विशेष स्थान है। इसकी बेहतर फसल प्राप्त करने के लिए कुछ बातों की जानकारी होना आवश्यक है। आइए अजवाइन की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
अजवाइन की खेती के लिए उपयुक्त समय
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अजवाइन की खेती रबी एवं खरीफ दोनों मौसम में की जा सकती है।
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रबी मौसम में खेती के लिए इसकी बुवाई सितंबर से नवंबर महीने में करें।
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खरीफ मौसम में खेती के लिए इसकी बुवाई जुलाई-अगस्त महीने में की जाती है।
बीज की मात्रा एवं बीज उपचारित करने की विधि
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रबी मौसम में प्रति एकड़ भूमि में खेती के लिए करीब 1 से 1.4 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
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खरीफ मौसम में प्रति एकड़ भूमि में खेती के लिए करीब 1.6 से 2 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
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बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।
उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु
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अजवाइन की अच्छी पैदावार के लिए हल्की बलुई दोमट मिट्टी एवं मटियार मिट्टी सर्वोत्तम है।
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भारी एवं गीली मिट्टी में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे पौधों के सूखने का खतरा बना रहता है।
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बलुई मिट्टी भी इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं है।
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मिट्टी का पी.एच. स्तर 6.5 से 8 के बीच होना चाहिए।
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ठंडी एवं शुष्क जलवायु में खेती करने पर बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
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फूल आने के समय वातावरण में अधिक नमी फसल के लिए नुकसानदायक साबित होती है।
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बीज के अंकुरण के समय 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है।
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इसके पौधे 10 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान को भी आसानी से सहन कर सकते हैं।
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अजवाइन की खेती की अधिक जानकारी यहां से प्राप्त करें।
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