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अदरक की खेती में खरपतवार प्रबंधन
अदरक की खेती में खरपतवार प्रबंधन
अदरक की खेती में अन्य फसलों की तुलना में बहुत कम खर्च में अधिक पैदावार होती है। लेकिन अगर इसकी खेती करते समय ध्यान नहीं दिया गया तो खरपतवार की समस्या बढ़ सकती है। खरपतवार के कारण फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में कमी आ जाती है। अदरक की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए यहां दिए गए उपायों को अपना सकते हैं।
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कंद की बुवाई क्यारियों में या मेड़ बना कर लाइन में करें। इससे निराई - गुड़ाई में आसानी होती है।
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रोपाई के बाद खेत में पलवार बिछा दें। इससे अंकुरण तो अच्छा होगा ही साथ ही खरपतवारों की समस्या कम हो जाती है।
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पलवार बिछाने के बाद भी यदि खेत में खरपतवार निकले तो उसे निराई - गुड़ाई के द्वारा निकाल देना चाहिए।
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जब पौधों की ऊंचाई जमीन की सतह से 20-25 सेंटीमीटर ऊपर हो जाए तब पौधों की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाना जरूरी है।
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पहली निराई गुड़ाई के बाद हर 25 दिन के अंतराल पर 2-3 निराई-गुड़ाई कर देनी चाहिए। गुड़ाई करने से अदरक के कंद को पोषक तत्वों के साथ साथ हवा का भी उचित आवागमन होता है।
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अदरक के कंद बनते समय जड़ों के पास कुछ कल्ले निकलने लगते हैं। इन कल्लों को निकाल दें। इससे कंद के आकर में वृद्धि होती है।
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कल्लों को निकालने के लिए खुरपी की सहायता ले सकते हैं।
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