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अधिक ठंड फसलों के लिए है घातक, जानें पाला पड़ने पर फसलों को बचाने के तरीके
अधिक ठंड फसलों के लिए है घातक, जानें पाला पड़ने पर फसलों को बचाने के तरीके
अत्यधिक ठंड यानी पाला पड़ने पर फसलों को भारी क्षति पहुंचती है। पाला पड़ने पर फसलों की उचित देखभाल नहीं की गई तो किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। पाला पड़ने पर पौधों में बालियां नहीं बनती एवं फूल-फल भी नहीं आते हैं। यदि पौधों में फूल-फल आ भी गए तो वह परिपक्व होने से पहले ही झड़ जाते हैं। पाले की स्थिति से निपटना किसानों के लिए किसी बड़ी समस्या से कम नहीं है। आइए इस विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
किन फसलों पर पाला का अधिक प्रभाव होता है?
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टमाटर, मिर्च, बैंगन, पपीता, मटर, चना, अलसी, आम, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ, अफीम, अमरूद, आदि फसलें पाला को सहन नहीं कर सकती हैं।
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पाला पड़ने पर यह सब्जियां अधिक प्रभावित होती हैं।
पाला को सहन कर पाने वाले फसल
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अरहर, गन्ना, गेहूं, जौ, आदि फसलों पर पाला का असर अन्य फसलों की तुलना में कम होता है।
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यह फसल 2 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक सहन कर सकते हैं।
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2 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान होने पर पौधे की बाहर और अंदर की कोशिकाओं में बर्फ जमने का खतरा होता है।
पाला पड़ने पर फसलों को कैसे बचाएं?
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पाला पड़ने पर खेत में सिंचाई करें। इससे मिट्टी में गर्मी बनी रहती है और भूमि का तापमान कम नहीं होता।
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ठंड में सिंचाई करने से मिट्टी के तापमान को 0.5 से 2 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ाया जा सकता है।
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नर्सरी में लगे पौधों एवं सब्जी वाली फसलों को ठंड से बचाने के लिए टाट, पॉलिथीन एवं पुवाल से ढंके।
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हवा आने की दिशा की तरफ वायुरोधी पौधे लगाएं।
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ठंडी हवाओं को रोकने के लिए खेत की मेड़ पर झाड़ियों की बाड़ लगाएं।
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निराई-गुड़ाई एवं खेत की जुताई करने से बचें। इससे मिट्टी में वायु का संचार होता है। फलस्वरूप मिट्टी का तापमान कम होता है।
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शाम के समय खेत में हवा की दिशा में घास-फूस, सूखे पत्ते एवं लकड़ियां आदि जलाकर धुआं करें।
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खेत में धुआं करने से तापमान को 4 डिग्री सेंटीग्रेड तक आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र भी इस जानकारी का लाभ उठाते हुए पाले से फसलों को बचा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। पशु पालन एवं कृषि संबंधी अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।
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