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अच्छी पैदावार के लिए इस तरह करें ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई
अच्छी पैदावार के लिए इस तरह करें ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई
रबी फसलों की कटाई के बाद खाली खेत में मूंग की बुवाई के कई फायदे हैं। इसकी खेती से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि होती है। फलियों की 2-3 बार तुड़ाई कर के पौधों की कटाई के बाद उसका उपयोग पशुओं के लिए हरे चारे के तौर पर किया जा सकता है। इसके अलावा खेत में पौधों की जुताई करके उसका इस्तेमाल हरी खाद के तौर पर भी कर सकते हैं। मूंग की खेती करने के बाद खरीफ में की जाने वाली फसलों में खरपतवार की समस्या कम होती है। यदि आप भी करना चाहते हैं ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती तो बीज उपचारित करने की विधि एवं बुवाई का तरीका यहां से देखें।
बीज उपचारित करने की विधि
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बीज उपचारित करने से फसल को कई मृदा जनित एवं बीज जनित रोगों से बचाया जा सकता है।
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प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम या 1 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित करें।
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कीटनाशक एवं फफूंद नाशक दवाओं से उपचारित करने के बाद प्रति किलोग्राम बीज को 5 ग्राम राइजोबियम कल्चर से भी उपचारित करें।
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बीज उपचारित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि बीज पहले कीटनाशक एवं फफूंद नाशक दवा से उपचारित करें, इसके बाद ही राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें। इससे कल्चर में मौजूद फफूंद नष्ट नहीं होंगे।
राइजोबियम कल्चर से बीज उपचारित करने की विधि
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राइजोबियम कल्चर से बीज उपचारित करने के लिए सबसे पहले 1 लीटर पानी में 100 ग्राम गुड़ घोलकर मिश्रण तैयार करें।
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इस मिश्रण को उबालकर ठंडा करें।
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ठंडा होने के बाद इस मिश्रण को बीज पर छिड़क कर अच्छी तरह मिलाएं।
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इसके बाद बीज को छांव में सूखाएं।
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राइजोबियम कल्चर से बीज उपचारित करने के बाद 6 घंटे के अंदर इसकी बुवाई करें।
उर्वरक की मात्रा एवं बुवाई की विधि
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उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 50 किलोग्राम डीएपी एवं 15 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश मिलाएं।
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बीज की क्यारियों में बुवाई करें।
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सभी क्यारियों के बीच 30 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
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पौधों से पौधों की दूरी 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
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बीज की बुवाई 3 से 4 सेंटीमीटर की गहराई में करें। इससे अधिक गहराई में बुवाई करने पर बीज के अंकुरण में कठिनाई होती है।
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इस विधि से बुवाई करने पर निश्चित ही आप मूंग की बेहतर फसल प्राप्त कर सकेंगे। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान इस जानकारी का लाभ उठा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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