पोस्ट विवरण
आम, लीची, नींबू आदि में राख जैसी फफूंदी पर नियंत्रण
आम, लीची, नींबू आदि में राख जैसी फफूंदी पर नियंत्रण
राख जैसी फफूंदी यानी सूटी मोल्ड से आम, लीची, नींबू, संतरा, पपीता, जैतून, कपास, ज्वार, आदि कई फसलें बुरी तरह प्रभावित होती हैं। इस कवक जनित रोग को कई क्षेत्रों में कालिख रोग या कजली रोग भी कहा जाता है। इससे पौधों के विकास पर भी प्रतिकूल असर होता है। इस हानिकारक रोग से होने वाले नुकसान एवं नियंत्रण के उपाय जानने के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।
रोग का कारण
-
रस चूसक कीट पत्तियों एवं पौधों के अन्य भागों में हनीड्यू स्रावित करते हैं। इस हनीड्यू पर राख जैसी फफूंदी आसानी से पनपते हैं।
-
जहां सूर्य की किरणें नहीं आती वहां यह फफूंद अधिक पनपते हैं।
-
विभिन्न कीट एवं चीटियां इस कवक को एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलाने का काम करती हैं।
-
पौधों के भागों में सूटी मोल्ड लम्बे समय तक जीवित रहते हैं।
रोग का लक्षण
-
इसका प्रकोप तने, टहनियां एवं पत्तियों पर होता है।
-
राख जैसी फफूंदी से प्रभावित पत्तियों एवं डालियों पर काले रंग के फफूंद नजर आने लगते हैं।
-
धीरे-धीरे पूरी पत्तियां गहरे काले रंग के फफूंद से ढक जाती हैं।
-
रोग बढ़ने पर पत्तियां गिरने लगती हैं और पौधों के विकास में बाधा आती है।
नियंत्रण के तरीके
-
पौधों को उचित मात्रा में धूप मिले इसलिए सभी पौधों के बीच पर्याप्त दूरी होना आवश्यक है।
-
इस रोग को पनपने से रोकने के लिए रस चूसक कीट पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है। इसके लिए 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात हॉक मिला कर छिड़काव करें।
-
राख जैसी फफूंदी रोग से निजात पाने के लिए 15 लीटर पानी में 25 से 30 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करें।
-
नीम के तेल के मिश्रण का छिड़काव भी नियंत्रण के लिए एक कारगर उपाय है।
-
जैविक नियंत्रण के लिए 5 लीटर पानी में 1 बड़ा चम्मच साबुन मिला कर प्रभावित भागों में छिड़काव करें। इससे साबुन का घोल पौधों पर अच्छी तरह लग जाएगा। फिर इसे साफ पानी से धो कर फफूंद को हटाया जा सकता है।
यह भी पढ़ें :
-
आम की पत्तियों पर जीवाणु जनित काला धब्बा रोग से निजात पाने के उपाय जानने के लिए यहां क्लिक करें।
इस पोस्ट में बताई गई दवाएं एवं अन्य तरीकों को अपना कर राख जैसी फफूंदी यानी सूटी मोल्ड पर पूरी तरह नियंत्रण किया जा सकता है। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल बेझिझक हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
जारी रखने के लिए कृपया लॉगिन करें
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ