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आलू: पौधों की अधिक संख्या से पैदावार न हो प्रभावित
आलू: पौधों की अधिक संख्या से पैदावार न हो प्रभावित
लगातार बढ़ती मांग, कम समय में तैयार होने एवं अच्छी भंडारण क्षमता के कारण आलू की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है। जहां तक सवाल है सही समय की तो आलू की बुवाई के लिए अक्टूबर से नवंबर के दूसरे सप्ताह तक का समय सर्वोत्तम है। कई बार ऐसा देखा गया है कि सही विधि से की गई की बुवाई ने आलुओं की उपज बढ़ाई है। बुवाई के लामय लापरवाही करने पर आलू की पैदावार के साथ उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।
खेत में पौधों की संख्या का महत्व
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कंदों का आकार: खेत में आवश्यकता से अधिक पौधे होने पर या पौधों के बीच की दूरी कम होने पर आलू के कंदों के आकार में कमी आती है। इसके साथ ही कंदों का वजन भी कम हो जाता है। कंदों के उचित विकास एवं आकार में वृद्धि के लिए पक्तियों की चौड़ाई और पौधों के बीच की दूरी का विशेष ध्यान रखें।
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उर्वरकों का प्रयोग: खेत में उर्वरकों का इस्तेमाल करने से पहले मिट्टी की जांच कराएं। इससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की सही जानकारी प्राप्त होगी और हम इसके अनुसार फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का प्रयोग कर के बेहतर फसल प्राप्त कर सकेंगे। उर्वरकों का प्रयोग पौधों की संख्या के अनुसार भी कर सकते हैं। खेत में ज्यादा या कम पौधे होने पर उर्वरक या तो बर्बाद हो जाते हैं या फसल की आवश्यकता को पूरी नहीं कर पाते हैं।
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सिंचाई: खेत में फसल की सघनता से सिंचाई भी प्रभावित होती है।
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हवा का आवागमन: खेत में बहुत अधिक संख्या में पौधे होने पर हवा का आवागमन प्रभावित होता है, जो आगे चल कर कई तरह के रोगों के पनपने का कारण भी बन सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान
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पौधों के बीच की दूरी उसकी किस्मों पर निर्भर करती है।
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बीज, चिप्स, फ्राइज़ या फ्लेक्स, आदि के लिए की जाने वाली आलू की खेती में पौधों के बीच की दूरी भी अलग-अलग होगी।
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बीज प्राप्त करने के लिए छोटे पौधों उगाए जाते हैं। जिसके लिए खेत में पौधों की संख्या भी अधिक होनी चाहिए।
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बीज और वेयरहाउस के आलू उत्पादन के लिए सबसे आदर्श फसल का आकार 60 x 20 सेंटीमीटर है।
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वहीं चिप्स बनाने वाली किस्म के लिए बेहतर बीज आकार के साथ सामान्यतः 65 x 20 सेंटीमीटर आदर्श होती है।
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