पोस्ट विवरण
सुने
आलू
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
3 year
Follow

आलू : कंदों के बेहतर विकास के लिए क्या करें?

आलू : कंदों के बेहतर विकास के लिए क्या करें?

आलू के बेहतर विकास के लिए सही समय पर एवं उचित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करना आवश्यक है। कंदों के बेहतर विकास के लिए पोटाश, बोरान, आदि कई पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। अगर आप आलू की खेती कर रहे हैं तो कंदों के बेहतर विकास के लिए विभिन्न पोषक तत्वों एवं उर्वरकों के प्रयोग की जानकारी यहां से प्राप्त कर सकते हैं।

  • देहात स्टार्टर : देहात स्टार्टर में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जो कंदों के बेहतर विकास के लिए आवश्यक है। इसमें जैविक फफूंद होते हैं जो जड़ों को मजबूत बना कर पोषक तत्वों को ग्रहण करने की प्रक्रिया में सहायक हैं। साथ ही इसके प्रयोग से पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसके प्रयोग से फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति होती है। खेत तैयार करते समय या निराई-गुड़ाई के समय इसका प्रयोग किया जा सकता है। कंद के आकार एवं पैदावार में वृद्धि के लिए प्रति एकड़ खेत में 8 किलोग्राम देहात स्टार्टर का प्रयोग करें।

  • पोटाश : कंदों के बेहतर विकास के साथ उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए पोटाश का प्रयोग करें। खेत की तैयारी के समय पोटाश मिलाने से अच्छी फसल प्राप्त होती है। प्रति एकड़ खेत में 60 किलोग्राम पोटाश मिला सकते हैं।

  • बोरान : बोरान का छिड़काव करने से आलू के कंदों का बेहतर विकास होता है। बुवाई के करीब 40 दिनों बाद एवं बुवाई के 60 दिनों बाद क्रमशः दो बाद फसलों में इसका छिड़काव करना चाहिए।

  • जिब्रेलिक एसिड : बुवाई के 50 से 55 दिनों बाद प्रति एकड़ खेत में 2 ग्राम जिब्रेलिक एसिड के प्रयोग से कंदों के आकार में वृद्धि होती है।

यह भी पढ़ें :

हमें उम्मीद है इस पोस्ट में दी गई जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। ऊपर बताए गए विभिन्न पोषक तत्वों एवं उर्वरकों के प्रयोग से निश्चित ही आप आलू की बेहतर उपज प्राप्त कर सकेंगे। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। आलू की खेती से जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

38 Likes
7 Comments
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ