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आलू की उन्नत किस्में
आलू की उन्नत किस्में
भारत में कुल उत्पादन का लगभग 85 प्रतिशत आलू का उपयोग सब्जी के तौर पर किया जाता है। शेष 15 प्रतिशत आलू का उपयोग स्टार्च , चिप्स, फ्रेंच फ्राई, नमकीन आदि बनाने में किया जाता है। आलू की खेती करने से पहले इसके विभिन्न किस्मों की जानकारी होना जरूरी है।
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कुफरी अलंकार : यह जल्दी तैयार होने वाली प्रजातियों में से एक है। इसकी फसल लगभग 70 दिनों में तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ जमीन से 80 से 100 क्विंटल आलू प्राप्त किए जा सकते हैं।
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कुफरी सिंदूरी : इस किस्म की आलू को तैयार होने में लगभग 120 से 125 दिन समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि से 120 से 160 क्विंटल फसल प्राप्त होता है।
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कुफरी लवकर : इस किस्म की आलू की बुआई करने पर फसल 100 से 120 दिन में तैयार हो जाते हैं। प्रति एकड़ भूमि से लगभग 120 से 160 क्विंटल पैदावार होती है।
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कुफरी चंद्रमुखी : करीब 80 से 90 दिनों में तैयार होने वाले इस प्रकार के आलूओं की खेती करने पर सामान्य तौर पर 80 से 100 क्विंटल आलू प्रति एकड़ जमीन से प्राप्त कर सकते हैं।
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कुफरी बहार 3792 ई : ठंड के मौसम में फसल लगभग 90 से 110 दिनों में तैयार हो जाते हैं वहीं गर्मियों में फसल तैयार होने में 100 से 135 दिन समय लगता है।
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ई 4486 : इसकी खेती मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में की जाती है। फसल को तैयार होने में 135 दिन लगता है। प्रति एकड़ जमीन से 100 से 120 क्विंटल आलूओं की उपज होती है।
इसके अलावा कुफरी ज्योति, कुफरी जवाहर जे.एच 222, कुफरी स्वर्ण, कुफरी देवा, कुफरी बादशाह, कुफरी नवताल जी 2524, कुफरी शील मान, आदि आलूओं के कुछ प्रमुख किस्मों में शामिल हैं। कुफरी चिप्सोना-1, कुफरी चिप्सोना -2, कुफरी आनंद और कुफरी गिरिराज आलू की कुछ नई किस्में भी हैं।
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