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Krishi Gyan
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आलू के फुलाव के लिए किए जाने वाले कार्य

आलू के फुलाव के लिए किए जाने वाले कार्य

कई बार उचित देखभाल के बाद भी आलू के कंद छोटे रह जाते हैं या कंदों का विकास पूरी तरह नहीं होता है। ऐसे में आलू की गुणवत्ता के साथ इसकी पैदावार पर भी बुरा असर होता है। अगर आप भी कर रहे हैं आलू की खेती तो कंदों के फुलाव यानी कंदों के आकार में वृद्धि के लिए किए जाने वाले कार्यों की जानकारी होना आवश्यक है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से इस विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

आलू के फुलाव के लिए किए जाने वाले कार्य

  • पोटाश का प्रयोग : आलू के कंदों के आकार में वृद्धि के लिए पोटाश के प्रयोग करें। खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 60 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करें। इसके अलावा खड़ी फसल में भी इसका प्रयोग कर सकते हैं।
  • बोरान का प्रयोग : बोरान के प्रयोग से भी आलू के कंदों का आकार में वृद्धि होती है। आलू की फसल में दो बार बोरान का प्रयोग करना चाहिए। कंदों की बुवाई के करीब 40 दिनों बाद पहला छिड़काव करें। बुवाई के 60 दिनों बाद दूसरी बार बोरान का प्रयोग करें।
  • अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति : बुवाई के 50 से 55 दिनों बाद प्रति एकड़ खेत में 1 किलोग्राम एन.पी.के. 19:19:19 एवं 250 ग्राम मिश्रित सूक्ष्म पोषक तत्व को 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इसके साथ ही प्रति एकड़ खेत में 20 किलोग्राम कैल्शियम नाइट्रेट या 25 किलोग्राम यूरिया और 5 किलोग्राम माइक्रोबूस्टर का भी प्रयोग करें।
  • देहात स्टार्टर का प्रयोग : आलू के कंदों के फुलाव के लिए प्रति एकड़ खेत में 8 किलोग्राम देहात स्टार्टर का प्रयोग करें।

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हमें उम्मीद है यह जानकारी  महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य  साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसानों तक यह जानकारी पहुंच सके। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। कृषि संबंधी अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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