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आलू : झुलसा रोग से बचाव के उपाय
Author : Lohit Baisla

आलू की फसल में होने वाले रोगों में से एक है झुलसा रोग। यह दो प्रकार के होते हैं - अगेती झुलसा रोग एवं पछेती झुलसा रोग। इस रोग के होने पर पैदावार पर प्रतिकूल असर होता है। इसके साथ ही कंदों की गुणवत्ता पर भी बुरा असर होता है। झुलसा रोग के लक्षण एवं बचाव के उपाय यहां से देखें।
अगेती झुलसा रोग
लक्षण
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रोग से प्रभावित पौधों की निचली पत्तियों पर छोटे-छोटे धब्बे उभरने लगते हैं।
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रोग बढ़ने पर धब्बों के आकार में वृद्धि होती है।
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धीरे-धीरे पत्तियां सिकुड़ कर गिरने लगती हैं।
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तने पर भी भूरे एवं काले रंग के धब्बे नजर आने लगते हैं।
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कंद पूर्ण रूप से विकसित नहीं होते।
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इस रोग के लक्षण बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद नजर आने लगते हैं।
बचाव
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इस रोग से निजात पाने के लिए 15 लीटर पानी में 25 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करें।
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इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर मैंकोज़ेब मिला कर भी छिड़काव किया जा सकता है।
पछेती झुलसा रोग
लक्षण
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रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां सिरे से झुलसने लगती हैं।
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पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।
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पत्तियों की निचली सतह पर रुई की तरह सफेद फफूंद नजर आने लगते हैं।
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कंदों के आकार में वृद्धि नहीं होती।
बचाव
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इस रोग पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 25 से 30 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करें।
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प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर कस्टोडिया मिला कर छिड़काव करें।
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हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाएं झुलसा रोग पर नियंत्रण के लिए कारगर साबित होंगी। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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28 December 2020
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