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किसान डॉक्टर
19 Dec
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आलू में झुलसा रोग का प्रबंधन

आलू में झुलसा रोग का प्रबंधन

तेजी से फैलने के कारण झुलसा रोग कम समय में आलू की फसल को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। यह रोग दो प्रकार का होता है। जिसमें एक है अगेती झुलसा रोग और दूसरा है पछेती झुलसा रोग। अगेती झुलसा रोग 'आल्टनेरिय सोलेनाई' नामक कवक के कारण होता है। पछेती झुलसा रोग 'फाइटाफ्थोरा इनफेस्टैन्स‘ नामक कवक के कारण होता है।

अगेती झुलसा रोग के लक्षण

  • रोग से प्रभावित पौधों की निचली पत्तियों पर छोटे-छोटे धब्बे उभरने लगते हैं।
  • रोग बढ़ने पर धब्बों के आकार में वृद्धि होती है।
  • धीरे-धीरे पत्तियां सिकुड़ कर गिरने लगती हैं।
  • तने पर भी भूरे एवं काले रंग के धब्बे नजर आने लगते हैं।
  • कंद पूर्ण रूप से विकसित नहीं होते।
  • इस रोग के लक्षण बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद नजर आने लगते हैं।

आलू की फसल में अगेती झुलसा रोग पर नियंत्रण

  • आलू की फसल को इस रोग से बचाने के लिए 964 किलोग्राम आलू के बीज को 100 मिलीलीटर पेनफ्लुफेन 240 एफएस (बायर- एमेस्टो प्राइम) से उपचारित करें।
  • इस रोग पर नियंत्रण के लिए मैंकोजेब 75% डब्ल्यू.पी. (देहात- DeM-45) 600-800 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 300 ग्राम हेक्साकोनाज़ोल 4% + ज़िनेब 68% WP (इंडोफिल- अवतार) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 1 किलोग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्ल्यूपी (धानुका- धानुकोप) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 500 ग्राम क्लोरोथालोनिल 75% WP (कोरोमंडल- जटायु) को 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

पछेती झुलसा रोग के लक्षण

  • रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां सिरे से झुलसने लगती हैं।
  • पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।
  • पत्तियों की निचली सतह पर रुई की तरह सफेद फफूंद नजर आने लगते हैं।
  • कंदों के आकार में वृद्धि नहीं होती।

आलू की फसल में पछेती झुलसा रोग पर नियंत्रण

  • इस रोग को फैलने से रोकने के लिए बुरी तरह प्रभावित पौधों को जला कर नष्ट कर दें।
  • खेत में खरपतवारों पर नियंत्रण करें।
  • इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% + डिफेनोकोनाज़ोल 11.4% SC (देहात- सिम्पेक्ट) की 200 मिलीलीटर मात्रा का छिड़काव करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 600-800 ग्राम प्रोपिनेब 70% डब्ल्यू.पी. (देहात जिनेक्टो) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 300 ग्राम कैप्टन 70% + हेक्साकोनाज़ोल 5% डब्ल्यूपी (टाटा रैलिस- ताकत) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 150-200 मिलीलीटर एज़ॉक्सीस्ट्रोबिन 18.2% + डाइफेनोकोनाज़ोल 11.4% एससी (सिंजेंटा- एमिस्टार टॉप) का प्रयोग करें।

क्या आपकी फसल में कभी झुलसा रोग का प्रकोप हुआ है? आप इस रोग पर नियंत्रण के लिए किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें। फसलों को कीट एवं रोगों से बचाने की अधिक जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें।

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