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आलू में चेचक रोग पर नियंत्रण के सटीक उपाय
आलू में चेचक रोग पर नियंत्रण के सटीक उपाय
चेचक रोग आलू की फसल में होने वाला एक घातक रोग है। यह रोग बैक्टीरिया के कारण फैलता है। इसके अलावा इस रोग के कई अन्य कारण भी होते हैं। इससे किसानों को आलू की बिक्री पर उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। बात करें इस रोग पर नियंत्रण की तो इस रोग पर नियंत्रण के लिए अभी तक कोई कोई सटीक उपचार उपलब्ध नहीं है। हालांकि कुछ उपाय हैं जिन्हें अपनाने से इस रोग पर को होने से बचाया जा सकता है। आइए इस विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
आलू की फसल में चेचक रोग के कारण
- बुवाई से पहले बीज उपचारित नहीं करना
- बुवाई के लिए चेचक रोग से प्रभावित कंदों का चयन करना
- लगातार एक ही फसल की खेती करना
- इस रोग के कीटाणु मिट्टी में लम्बे समय तक जीवित रहते हैं।
आलू की फसल में चेचक रोग के लक्षण
- आलू के कंदों पर लाल रंग के चकते होने लगते हैं।
- कई बार कंदों में छेद दिखने लगते हैं।
- कंदों का आकार विकृत हो जाता है।
आलू की फसल को चेचक रोग से बचाने के लिए करें यह काम
- इस रोग से बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं।
- चेचक रोग से प्रभावित खेत में 3 से 4 वर्षों तक आलू की खेती करने से बचें।
- खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में गोबर की खाद के साथ 2.5 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा मिला कर प्रयोग करें।
- बुवाई के लिए रोग रहित स्वस्थ बीज का चयन करें।
- बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें।
- पेन्सीक्यूरॉन 22.9 एससी (मॉनसीरेन - बायर क्रॉपसायन्स) 350 मिलीलीटर 200 लीटर पानी में मिलाकर बीज 15 मिनिट तक उसमे डुबोएं और छांव में सूखाकर बिजाई के लिए उपयोग करें।
आलू की फसल को चेचक रोग से बचाने के लिए आप क्या करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। फसलों को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने की अधिक जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें।
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