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कल्पना
कृषि विशेषयज्ञ
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अंगूर की बागवानी से पहले जानें कुछ किस्में

अंगूर की बागवानी से पहले जानें कुछ किस्में

विश्व में अंगूर की करीब 1 लाख किस्में हैं। भारत में अंगूर की करीब 1 हजार किस्मों की खेती की जाती है। अगर आप भी अंगूर की बागवानी करना चाहते हैं तो इसकी कुछ बेहतरीन किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। आइए विभिन्न क्षेत्रों के अनुसार अंगूर की कुछ किस्में एवं विशेषताओं पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

अंगूर की कुछ बेहतरीन किस्में एवं उनकी विशेषताएं

  • परलेट : उत्तर भारतीय क्षेत्रों में खेती के लिए यह उपयुक्त किस्म है।  गुच्छे  मध्यम से बड़े आकार के एवं गठीले यानी फलों से भरे हुए होते हैं। इस किस्म के फल हल्के हरे रंग के एवं गोल होते हैं।

  • पूसा सीडलेस : इस किस्म के फल जून के तीसरे सप्ताह से पकने लगते हैं। इस किस्म की बेलों में मध्यम आकार के लम्बे एवं गठीले गुच्छे लगते हैं। इस किस्म के फल आकार में छोटे एवं अंडाकार होते हैं। पकने के बाद फलों का रंग सुनहरा पीला हो जाता है। इस किस्म के ताजे फलों के सेवन के अलावा इससे किशमिश भी बनाई जाती है।

  • थॉम्पसन सीडलेस : गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु एवं कर्नाटक में इस किस्म की प्रमुखता से खेती की जाती है। इस किस्म के फल सुनहरे से पीले रंग के होते हैं। फलों को खाने के अलावा इस किस्म से किशमिश का भी निर्माण किया जाता है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 8 से 10 टन फलों की पैदावार होती है।

  • पूसा नवरंग : यह जल्दी पकने वाली किस्मों में शामिल है। अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए व्यावसायिक स्तर पर इस किस्म को प्रमुखता से लगाया जाता है। बेलों में मध्यम आकार के गुच्छे लगते हैं। इस किस्म के अंगूर के फल बीज रहित, आकार में गोल एवं काले रंग के होते हैं। पेय पदार्थों के इस्तेमाल के लिए इस किस्म की बागवानी प्रमुखता से की जाती है।

इन किस्मों के अलावा हमारे देश में शरद सीडलेस, डिलाइट, पूसा सीडलेस, काली शाहबी, भोकरी, अनब-ए-शाही, ब्यूटी सीडलेस, आदि शामिल है।

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको सी पोस्ट में दी है जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र भी इस जानकारी का लाभ उठाते हुए अंगूर की खेती से बेहतर मुनाफा कमा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। कृषि संबंधी अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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