नौकरी छोड़कर शुरू की खेती अब किसान कमा रहा है, 80 लाख सालाना
देश मे किसानों के बुरे हालातों को लेकर तो काफी चर्चा होती है, लेकिन हम आपको बिहार के एक ऐसे किसान की कहानी बताएंगे, जो दूसरे किसानों के लिए एक मिसाल बन गया. समस्तीपुर जिले से 45 किलोमीटर दूर हसनपुर प्रखंड के नयानगर पंचायत के सुधांशु कुमार अपने 70 बीघा जमीन में आधुनिक तरीके से खेती करते हैं. इस खेती से उनकी सालाना कमाई 80 लाख रुपये है.
सुधांशु कुमार टपकन प्रणाली और माइक्रो स्प्रिंकलर की मदद से बगीचे की सिंचाई करते हैं. जिसकी वजह से लीची के बागान में निश्चित मात्रा में तापमान को बनाने में मदद मिलती है. 70 बीघे में लगे खेत की निगरानी सिंचाई और खेत में लगे पौधों तक खाद पहुंचाने के लिए सुधांशु कुमार अपने खेत को वायरलेस ब्रॉडबैंड इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ दिया है. खेत में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है, जिसे स्मार्टफोन और लैपटॉप से जोड़ कर सिंचाई प्रणाली को दुनिया भर में कहीं से भी नियंत्रित कर अपने खेतों को समय पर सिंचाई और खाद आधुनिक तकनीक से देते हैं.
किसान सुधांशु कुमार 70 बीघे के खेत में 27000 फलों के पेड़ लगाए हुए हैं. इसमें उगने वाले आम, लीची, अमरूद, केला, मौसमी, शरीफा और नींबू की खेती के अलावा प्रयोग के रूप में जामुन, बैर, बेल , कटहल, चीकू और मीठी इमली की खेती करते हैं. इससे इनकी सालाना आमदनी 80 लाख रुपये के करीब है. किसान सुधांशु कुमार बताते है कि लीची से 22 लाख रुपये आता है. आम का बगीचा पहले 13 लाख रुपये में बेचा था. इसी तरह 16 बीघा में केले लगाए थे, इस छठ पूजा से पहले 35 लाख रुपये के केले की बिक्री हुई थी. कुल मिलाकर देखा जाए तो फलों की खेती में टर्नओवर बहुत ज्यादा है.
किसान सुधांशु कुमार खेती के साथ कड़कनाथ मुर्गी पालन के अलावा डेयरी का भी कारोबार शुरू किया है. अपने खेत मे ही कड़कनाथ मुर्गे के 500 चूजे का एक पॉल्ट्री फार्म खोला है. अलग अलग नस्ल के गाय को रख कर डेयरी प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहे हैं.
समस्तीपुर जिले के हसनपुर प्रखंड के नयानगर पंचायत के मुखिया सह किसान सुधांशु कुमार को उन्नत तकनीक से खेती करने को लेकर कई अवार्ड भी मिल चुके हैं. इन्हें 2010 में जगजीवन राम अभिनव किसान पुरस्कार, बागवानी के विकास के लिए सोसाइटी से बेस्ट मैंगो ग्रोअर अवार्ड, द कंटेम्पररी बायोलॉजिस्ट के इंटरनेशनल कंसोर्टियम से रोल मॉडल अवार्ड और माधवी-श्याम एजुकेशनल ट्रस्ट के न्यासी बोर्ड से सम्मानित किया गया. 2014 में महिन्द्रा समृद्धि इंडिया एग्री अवार्ड्स से भी नवाजा जा चुका है. इतना ही नहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी सुधांशु कुमार की आधुनिक तकनीक की खेती करने की चर्चा सुनकर उनके खेतों का जायजा 2019 में ले चुके हैं.
किसान सुधांशु कुमार अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद केरल में टाटा टी गार्डन में सहायक प्रबंधक की एक नौकरी की. लेकिन उसमें उनका मन नहीं लगा और नौकरी को छोड़ कर गांव चले आए और खेती करने लगे. उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा सिविल सर्विसेज कर आईएएस बने.
सुधांशु के पिता ने बिना मन के उन्हें 5 एकड़ की उपेक्षित भूमि पर खेती करने के लिए दी. सुधांशु ने 1990 से खेती करना शुरू किया. उपज और आर्थिक लाभ बढ़ाने के लिए हमेशा वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए आगे बढ़ते चले गए. अब हालात ये है कि बिहार ही नहीं देश भर में किसान सुधांशु कुमार की एक अलग पहचान बन गई है.
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