➡️मूंगफली की खेती से होगी अच्छी कमाई जाने कैसे करते हैं इसकी खेती 👉
मूंगफली एक तिलहनी फसल है। भारत के कई राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। मूंगफली में 30% प्रोटीन, 25% कार्बोहाइड्रेट, 50% वसा, विटामिन, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसे गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में सबसे अधिक उगाया जाता है, तो आइए जानें कैसे करते हैं इसकी खेती -
➡️उपयुक्त जलवायु👉
मूंगफली की खेती के लिए अर्ध उष्ण जलवायु अधिक उपयुक्त होती है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और 500 से 1000 मिलीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है।
➡️उपयुक्त भूमि👉
इसकी खेती के लिए बलुई दोमट भूमि जिसमें जल निकास अच्छा हो तथा प्रचुर मात्रा में कैल्शियम एवं जीवांश मौजूद हों उपयुक्त होती है। भूमि का पीएच मान 6 से 6.5 के बीच होना चाहिए।
➡️खेत की तैयारी👉
खेत की तैयारी करते समय 1 जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद में 3 से 4 जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करके मिट्टी को भुरभुरी बना लें। खेत में नमी बनाए रखने के लिए हर जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं।
➡️उन्नत किस्में👉
पंजाब मूंगफली 1, वीआरआई 1, टी एम 7, आरजी 141, टीएजी 26, कादिरी 4, जी जी 20
➡️बीज की मात्रा👉
मूंगफली के प्रति हेक्टेयर खेत के लिए 80 से 100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
➡️बीज उपचार👉
बुवाई से पहले बीज को 2 या 3 ग्राम थिरम या काबेंडाजिम से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर लें।
➡️बुवाई का समय👉
खरीफ ऋतु में मूंगफली की बुवाई करने का उचित समय 15 जून से 15 जुलाई तक होता है ।
➡️बुवाई का तरीका👉
मूंगफली को कतार में बोना चाहिए। कम फैलने वाली किस्मों के लिए कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर तथा अधिक फैलने वाली किस्मों लिए 45 सेंटीमीटर रखें। पौधों से पौधों की दूरी 8 से 10 सेंटीमीटर रखें। बीज को जमीन 5 से 6 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं।