मध्यप्रदेश में मूंगफली की खेती
म.प्र. में मूंगफली प्रमुख रूप से शिवपुरी, छिंदवाड़ा, बड़वानी, टीकमगढ, झाबुआ, खरगोन जिलों में लगभग 220 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल में होती है। ग्रीष्मकालीन मूंगफली का क्षेत्र विस्तार धार, रतलाम, खण्डवा, अलीराजपुर, बालघाट, सिवनी, होशंगाबाद एंव हरदा जिलों में किया जा सकता है।
मूंगफल में तेल 45 से 55 प्रतिशत, प्रोटीन 28 से 30 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेठ 21-25 प्रतिशत, विटामिन बी समूह, विटामिन-सी, कैल्शियम, मैग्नेशियम, जिंक फॉस्फोरस, पोटाश जैसे मानव शरीर को स्वस्थ रखनें वाले खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते है।
उन्नत किस्में
किस्मअवधि (दिन)उपज (क्विं/हैक्टर)विमोचन वर्षजे.जी.एन.-3100-10515-201999जे.जी.एन.-2390-9515-202009टी.जी.- 37ए.100-10518-202004जे.एल.- 501105-11020-252010जी.जी.-20100-11020-251992
मृदा एवं भूमि की तैयारी -
मूंगफली की खेती विभिन्न प्रकार की मृदाओं में की जा सकती है फिर भी इसकी अच्छी तैयारी हेतु जल निकास वाली कैल्शियम एवं जैव पदार्थो से युक्त बलुई दोमट मृदा उत्तम होती है। मृदा का पीएच मान 6.0 से 8.0 उपयुक्त रहता है। मई के महीने में खेत की एक जुताई मिट्टी पलटनें वाले हल से करके 2-3 बार हैरो चलावें जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जावें। इसके बाद पाटा चलाकर खेत को समतल करें जिससे नमी संचित रहें। खेत की आखिरी तैयारी के समय 2.5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की दर से जिप्सम का उपयोग करना चाहिए।
भूमि उपचार -
मूंगफली फसल में मुख्यतः सफेद लट एंव दीमक का प्रकोप होता है। इसलिए भूमि में आखरी जुताई के समय फोरेट 10 जी या कार्बोफ्यूरान 3 जी से 20-25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से उपचारित करते है। दीमक का प्रकोप कम करने के लिये खेत की पूरी सफाई जैसे पूर्व फसलो के डण्ठल आदि को खेत से हटाना चाहिए और कच्ची गोबर की खाद खेत में नहीं डालना चाहिए। जिन क्षेत्रों में उकठा रोग की समस्या हो वहाँ 50 कि.ग्रा. सड़े गोबर में 2 कि.ग्रा. ट्राइकोडर्मा जैविक फफूंदनाशी को मिलाकर अंतिम जुताई के समय प्रति हैक्टेयर की दर से भूमि में मिला देना चाहिए।
खाद एवं उर्वरक प्रबंधन -
मिट्टी परीक्षण के आधार पर की गयी सिफारिशों के अनुसार ही खाद एवं उर्वरकों की मात्रा सुनिश्चित की जानी चाहिए। मूंगफली की अच्छी फसल के लिये 5 टन अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद प्रति हैक्टर की दर से खेत की तैयारी के समय मिट्टी में मिला देनी चाहिए। उर्वरक के रूप में 20:60:20 कि.ग्रा./है. नत्रजन, फॉस्फोरस व पोटाश का प्रयोग आधार खाद के रूप में करना चाहिए। मूंगफली में गंधक का विशेष महत्व है अतः गंधक पूर्ति का सस्ता स्त्रोत जिप्सम है। जिप्सम की 250 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग बुवाई से पूर्व आखरी तैयारी के समय प्रयोग करें। मूंगफली के लिये 5 टन गोबर की खाद के साथ 20:60:20 कि.ग्रा./हैक्टर नत्रजन,फॉस्फोरस व पोटाश के साथ 25 कि.ग्रा./हैक्टर जिंक सल्फेट का प्रयोग आधार खाद के रूप में प्रयोग करने से उपज में 22 प्रतिशत वृद्धि प्रक्षेत्र परीक्षण व अग्रिम पंक्ति प्रदर्शनों में पायी गयी है।