गन्ने की बुवाई का ये तरीका अपनाइए, उत्पादन दो से तीन गुना ज्यादा पाइए
पौध नर्सरी से बुआई के ये हैं फायदे
प्रति एकड़ खेत में केवल 4800 पौधों की जरूरत लगती है जिसमें केवल ढाई कुंतल बीज लगता है।
पौधे के अवागमन का खर्च बहुत कम रहता है।
ढाई कुंतल के बीजोपचार में केवल पांच रुपए का खर्च।
10 मजदूरों द्वारा एक एकड़ में पौध रोपाई।
ट्रे में अंकुरित बीज ही लगाया जाता है।
100 प्रतिशत अंकुरित पौधा ही लगता है, इससे खेत में कोई खाली जगह नहीं छूटती है।
जहाँ पर पौधा लगा होता है वहीं पर खाद दी जाती है जिससे खाद का उपयोग सीमित हो जाता है।
नया बीज एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना आसान होता है।
एक आँख की पद्यति अपनाने के कारण प्रति पौधा कंसों की संख्या अधिक होती है।
दूर-दूर से नर्सरी देखने आते हैं लोग
ट्रे नर्सरी में लगी होने के कारण गन्ने की उम्र डेढ़ महीने अधिक मिल जाती है।
उम्र अधिक मिलने का मतलब स्वस्थ्य लम्बा और मोटा गन्ने का पौधा रहता है।
पहले से अंकुरित होने के कारण किसी भी मौसम में गन्ने का रोपण किया जा सकता है।
इन वैरायटी का करते हैं इस्तेमाल
राकेश गन्ने की छह-सात तरीके की वैरायटी का इस्तेमाल करते हैं। जिसमे 86032, 3102, 238, 8005, 1001, संकेश्वर 92, 93 वैरायटी का इस्तेमाल करते हैं।
गन्ना खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी:
गन्ना लगाने से पहले मिट्टी की जांच करना महत्वपूर्ण है। इसके द्वारा उर्वरक की मात्रा निर्धारित की जा सकती है।
पानी सूखा हो जाएगा, गहरी, मिट्टी के आसपास 6.5 पीएच के साथ गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त है, लेकिन यह गन्ना फसल मिट्टी अम्लता और क्षारीयता को सहन कर सकते हैं। इसलिए, 5 से 8.5 की सीमा में पीएच के साथ मिट्टी में वृद्धि हुई है।
गन्ना रोपण विधि
भारत में गन्ना की खेती के लिए बड़ी संख्या में विधियां उपलब्ध हैं, लेकिन चार मुख्य विधियों का उपयोग गन्ना की खेती के लिए किया जाता है।
रिज और फेरो विधि।
Rayungan विधि।
ट्रेंच या जावा विधि
Flatbed विधि
उर्वरक
गन्ना एक लंबी अवधि की फसल है क्योंकि इसे उच्च गुणवत्ता और उर्वरक की आवश्यकता होती है। भूमि तैयार करते समय 25 से 50 टन धोए गए बकरी / हेक्टेयर का प्रयोग करें।