अरहर की बोवाई के समय रखें इन बातों का ध्यान,होगी अच्छी
पैदावार
हमारे देश में दलहन फसलों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। दलहन फसलों में अरहर का एक विशेष स्थान है। अरहर की खेती खरीफ मौसम में की जाती है। यह प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट आयरन कैल्शियम आदि का अच्छा स्त्रोत है। अरहर की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है। लेकिन कई बार सही जानकारी नहीं होने के कारण किसानों को उचित मुनाफा नहीं मिल पाता है। ऐसे में यदि आप भी कर रहे हैं अरहर की खेती तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। यहां से आप अरहर की बुवाई से जुड़ी कुछ जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं।
बीज उपचारित करने की विधि
अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों एवं स्वस्थ बीज का चयन करें।
बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम से उपचारित करें।
इसके अलावा प्रति किलोग्राम बीज को 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम से भी उपचारित कर सकते हैं।
खेत तैयार करने की विधि
सबसे पहले मिट्टी पलटने वाली हल से गहरी जुताई करें और कुछ दिनों तक खेत को खुला रहने दें।
इसके बाद देशी हल या कल्टीवेटर से 2 से 3 बार हल्की जुताई करें।
अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए प्रति एकड़ जमीन में 2 टन गोबर की खाद मिलाएं।
गोबर खाद की जगह कम्पोस्ट खाद का भी प्रयोग कर सकते हैं।
जुताई के बाद खेत की मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बनाने के लिए पाटा लगाएं।
बुवाई की विधि
अरहर की बुवाई क्यारियों में करें।
जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए सभी क्यारियों के बीच 30 से 40 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए।
पौधों से पौधों के बीच करीब 10 से 15 सैंटीमीटर की दूरी रखें।
देर से पकने वाली किस्मों के लिए सभी क्यारियों के बीच 60 से 75 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए।
पौधों से पौधों के बीच करीब 20 से 25 सैंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए।
हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इस जानकारी का लाभ उठा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।